Friday, August 14, 2009

अखंड भारत संकल्प दिवस !

गत कुछ शताब्दियो से हो रहे सतत आक्रमणों में हमने गांधार (अफगानिस्थान), ब्रह्मदेश (म्यानमार), सिंध-प. पंजाब (पाकिस्तान), पू. बंगाल (बांग्लादेश), त्रिविष्टप (तिब्बत) ये अपने मातृभू के अंग खोकर उसे अपंग बना दिया है ।

अपने देश का क्षेत्रफल ५५,६२,८२८ वर्ग-किमी से घट कर ३२,८७,२४० वर्ग-किमी हो गया है । अर्थात अपना ४०% प्रतिशत भूभाग हमने गँवाया है

जहाँ-जहाँ हिन्दू घटा, वहाँ-वहाँ देश कटा है

जो-जो भूभाग हमने खोया है, वह राष्ट्र विघातक गतिविधियों में सक्रीय हुआ है ।

क्या इसी क्षत-विक्षत भारत के लिये ही हमारे पूर्वजो ने अपने प्राण गँवाये थे ?

अपने राष्ट्रगान में हम गाते है – ’पंजाब सिंध गुजरात मराठा द्राविड उत्कल वंग कहाँ है यह सिंध? कहाँ है आधा पंजाब और आधा बंगाल ? क्या वहाँ भी यही राष्ट्रगान गाते है ?

१९४७ में अधिकांश जनता अखण्ड भारत चाहती थी, फिर भी क्यो हुआ विभाजन ? - तुष्टिकरण की नीति के कारण !! यह कारण तो आज भी विद्यमान है !! तो क्या फिर से विभाजन होगा ?

भारत अखंड करना है । अपने वीर क्रान्तिकारियों का बलिदान व्यर्थ नहीं गँवाना है ।

भारत फिर से अखण्ड होता है, तो अनेक समस्याए अपने आप हल हो जाएँगी
अपना सुरक्षा पर वार्षिक खर्च रु. ९०,००० करोड़ है । इसम बडी बचत होगी ।
काश्मीर, पूर्वांचल आदि उग्रवाद-ग्रस्त स्थान पर पयर्टन व्यवसाय की वृद्धि होगी |

हम सभी अपने सच्ची सांस्कृतिक विरासत का अंग बनकर सही अर्थ में भारत को वैभवशाली बना पायेंगे ।

तो आईये ! इस स्वतन्त्रता दिवस की पूवर्संध्या में सकल्प ले –

हम उस समर्थ, सशक्त, संगठित, अखण्ड भारत का पुनः निर्माण करेंगे !!

॥ भारतमाता की जय ॥